फिर उसे अपने दूध से पाला,
आँसुओं को आंचल से पोंछ
उसे आंचल में छुपाया,
जब वह खड़ा हुआ तो
एक नई नारी ने प्रवेश कर
पुरानी नारी को
वृद्धाश्रम की याद दिला दी।
कारण स्पष्ट था,
न तो उसे
फिर से जन्म लेना था,
न ही उसे- उस औरत के आंचल में
फिर से छुपना ही था,
न ही उसे- उसके किसी कष्ट का
होता था आभास,
बस करता था-
रोज मरने का इंतज़ार,
बस करता था-
रोज मरने का इंतज़ार।
-शम्भु चौधरी,
एफ.डी.-453, साल्टलेक सिटी, कोलकाता-700106
2 comments:
एक नई नारी ने प्रवेश कर
पुरानी नारी को
वृद्धाश्रम की याद दिला दी।
BAHUT ACHHA SIR JEE. BEETE KAL KO NAKARNE WAALE KYON BHIL JAATE HIN KI WO BHI KABHI ISI JAGAH KHADE HONGE.
omprakash
bhut khub sab.
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