- डॉ॰ अजय नन्दन 'अजेय'
एक कविता मेरी सुन लो, ताजा अभी बनाया हूँ!
आदर्श श्रोता देख आपको, अभी जेहन में आया हूँ।
चैराहो सड़क पर गाता हूँ,
कुछ न कुछ सुनाता हूँ।
सुनता नहीं यदि कोई,
तो चाय भी उसे पिलाता हूँ।
‘‘वंस मोर’’ की आवाज से, मेरा मन हर्षाया है।
एक कविता मेरी सुन लो....2
मेरी अपनी ही रचना है,
कोई नकल नहीं भाई,
यह तो कॉपी राइट है मेरी,
पकड़ में कभी नहीं आयी।
इस एक कविता को मैंने, दर्जनों बार भुनाया है।
एक कविता मेरी सुन लो....2
मुझे सुनने से मतलब हैं
चाहे हो कोई भी छंद
अर्थ भले कुछ भी निकले,
चाहे दिमाग हो जाए बन्द,
हो मुक्त छंद या फिर तुकांत, मैंने तो सभी गाया है।
एक कविता मेरी सुन लो....2
उपाधिया तो मिली नहीं,
पन्ने किए बहुत काले।
हुआ घर के कामो से बेखबर..
तो बीबी ने भी सुना डाले।
ना घर का रहा ना घाट का, बस आपलोग का साया है।
एक कविता मेरी सुन लो....2
निरीह प्राणी न समझो कवि को,
वह तो राह बताता है।
घर को छोड़ सारी दुनिया को,
नसीहते याद कराता है।
शांति-क्रांति दोनों स्थितियों में बड़ा रोल निभाया है।
एक कविता मेरी सुन लो, ताजा अभी बनाया हूँ!
आदर्श श्रोता देख आपको, अभी जेहन में आया हूँ।
संपर्क का पताः
डॉ॰ अजय नन्दन ‘अजेय’
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