ग़ज़ल
हालत आज क्या हो गई इंसान की
पैसे को दे दी जगह भगवान की
चैन से बैठा नहीं जाता है मुझसे
बात जब होती हैं हिन्दोस्तान की
अपनी जेबें भरने से फुर्सत नहीं
बात करते हैं यहाँ कल्याण की
किस कदर माहौल बदला है यहाँ
हो रही जयकार बेईमान की
आपने सब-कुछ ख़रीदा हो मगर
है नहीं कीमत कोई मुस्कान की
मत गिरो इतना भी नीचे दोस्तों
मर ना जाए रूह स्वाभिमान की
अखिलेश सोनी, भोपाल
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1 comment:
बिल्कुल सही कहा है आपने. जेब भरने से ही किसी को फुर्सत नहीं है तो कल्याण की कार्य कैसे करेंगे.
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