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आज फ़िर चला पटाका



आज हिमालय की चोटी से फिर किसी ने पुकारा है
आतंकवाद के साये में जलते पड़ोसी ने ललकारा है
पूरा भारत घूम, इंडियन मुजाहिद्दीन, दिल्ली में फिर धमक गया
भारत के सपूतों ने आईएसआई की इस चुनौती को स्वीकारा किया
आतंक के सौदागरों को चेतावनी का संदेश भिजवाया है
बम फोड ले सडक खोल ले - कश्मीर हमारा है
६० साल से जालिम तुने, मासूमों पर कहर बरपाया है
हम ने, मुहतोड़ जवाब दिया और हर जगह, तुझे हराया है
खेमकरण और कारगिल के संग्राम की पिटाई तू क्या भूल गया
जम्मू सूरत, हैदराबाद या बनारस चाहे संसद तेरी मौत भूल गया
शायद खावायिश लालकिले पे चाय पीने की अभी भुला नहीं तू
शास्त्री के जय जवान की मार को आज भी याद कर तू
राम, कृष्ण, गौतम, गाँधी, तिलक, जवाहर के हम वंशज हैं जानले
सर पे कफ़न माथे पे तिलक, कमर कसे है हिंदकी सेना मानले
हमने विश्व को मानवता का सन्देश दिया
पंचशील और सद्भावना को माना और जिया
मुल्क में तेरे जमुरियत फिर से दस्तक दे रही है
बेनजीर को लुटा के इंसानियत भी रो रही है
सात समुन्द्र दूर बैठा तेरा आका आज तुझे जान गया
हम कुछ भी ना करें दुनिया का थानेदार तो डंडा तान चुका
कुरान-हदीस के पाक फतवों को भुला तू कुफ्र की वकालत कर रहा है
अपनों को भड़का के तू उन्हें क्यों नापाक नाकाम बदनाम कर रहा है
दुनिया कहाँ से कहाँ तरक्की कर गयी तू भी इसे जान ले
झूट बोलना आतंक बोना- लाशे काटना गलत है मान ले
रमजान के पाक महिने में सिजदा कर कुफ्र से तौबा मांग ले
छोड़ दे यह ओछी हरकते विनाश की,तरक्की की डगर थाम ले
मत ले इम्तहान नहीं तो तू पछतायेगा
कसम से हम उठ गए तो कौन बचायेगा
भारत वासियों मत घबड़ाना सब तुम्हारे साथ है
हम एकता, सावधानी, कठोरता, निरभ्यता, सद्भाव है
हिम्मत रखना मत घबड़ाना आतंकियों को सबक सिखाना है
जनगनमन, सत्यमेवजयते और वन्देमातरम गाना है



आज फ़िर चला पटाका

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