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मैं हिन्दू हूँ - सचीन जैन



(These lines I wrote on 10th Oct. In this the Strong feeling which I am expressing are that being Hindu I have been shown the way of truth but still I am free to do what all I like.)



मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,
सर्वश्रेष्ठ हूँ मैं, हर पंथ (religion) को मैं सर्वश्रेष्ठ ही पाऊँ,

कभी मैं कृष्ण को अपना कहूं, कभी मैं राम का हो जाऊं,
कभी महावीर मुझे अपने लगे, कभी मैं बुद्ध की शरण में जाऊं,
देवी से मिन्नतें करू, साईं की भी कृपा मैं मांगू,
पैगम्बर पर भी मथ्था टेकू, इशु को भी गले लगा लूं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

कभी मैं देखो मंदिर जाऊं, कभी ना मंदिर को अपनाऊं,
फिर भी मैं चर्च-पीर के आगे शीश अक्सर झुकाकर जाऊं,
गीता मुझसे तुम पढ़वाओ, चाहे रामायण का पाठ करालो,
कुरान-बाइबल को भी मैं गीता-रामायण जैसा ही तो पाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,


तुलसी स्वास्थ्यवर्धक है, इसलिए उसको पूज कर आऊं,
प्रक्रति पर हम निर्भर है, देव उनको मैं इसलिए बताऊँ,
अन्याय के खिलाफ लडो,रामायण-गीता में मैं ये सिखलाऊं,
गलत कुछ भी करने से पहले, मैं उस का डर दिल में पाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

होली पर रंगों से खेलूँ और दीवाली दीप जलाऊं,
नवरात्रों में देवी को पूजूं, दशहरे पर रावन को फून्कूं,
फसले आने पर पर लोहणी और बसंत मनाऊं,
ईद-क्रिसमस भी मैं होली और दीवाली बनाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,


बुरा मुझे बुरा लगे, हिन्दू हो या कोई और हो,
भला मुझे भला लगे, हिन्दू हो या कोई और हो,
हिंदुत्व मुझे यही सिखाता, भले को अपनाकर बुरे से दूर जाऊं,
जीवन अपना इसलिए है की किसी के काम आऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

गर्व है मुझको हिदुत्व पर जिसने मुझको ये समझाया,
बुरा ना कोई होता,दिल में सबके प्रेम है,
कुछ लोगो की चालें है ये, दिलो में जो ना मेल है,
इन चालों को मिटाता जाऊं, मैं बस प्यार बढाता जाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

कोई कहे पचपन करोड़, कोई कहे एक सौ करोड़ देवता है,
चार वेद,अठारह पुराण,एक सौ आठ उपनिषद कुछ स्मृतियां भी हैं,
रामायण, महाभारत,गीता और न जाने कितने है,
वो एक रूप अनेक, अन्याय से लड़ और कर्म कर बस मैं तो ये ही बतलाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

धरम के नाम पर मैंने भी बहुत सी रूढियां लिखी है,
सच है ये की कभी मैंने भी लोगो से खिलवाड़ किए,
धरम की ही सीख से मैं आत्मा की सुन पाऊं,
डरूं नहीं, झुकूं नहीं बस सही को ही अपनाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

सभ्यता का बड़ा समुन्दर है मुझको ये है समझाने को,
वो है एक रूप अनेक, ना कोई बड़ा और ना कोई है छोटा,
कर्म-धर्म सब यहीं है फलने, किसी को भी चाहे अपनाऊँ,
उसको पूजूं या ना पूजूं, हर जान बस एक इंसान को ही पाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं, मन की मैं करता ही जाऊं,

माँ-बाप मेरे हिन्दू है , मैं भी हिन्दू कहलाया,
सब धर्मो का आदर यहाँ, सब को सम्मान मैं दे पाऊं,
धर्म की सीख से ही भगवान् से पहले भी मैं इंसानियत को पूज पाऊं,
आज़ादी है मुझको यहाँ किसी को भी मैं अपनाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं मन की मैं करता ही जाऊं,

साम्प्रदायिकता के नाम पर हिन्दू का देखो जो विरोध जताते हैं,
धर्म का मतलब जीवन दर्शन, ये वो समझ न पाते हैं,
जिन लोगो को ज्ञात नहीं खुद के जीने का मतलब,
उनकी बातों को मैं लोगो क्यों अपने दिल से लगाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं मन की मैं करता ही जाऊं,

धर्म का अर्थ जीवन दर्शन है, ये कैसे मैं समझाऊं,
रास्ते इनेक मंजिल है एक, ये मैं कैसे दिखलाऊं,
सबकी अपनी कोशिश है उस तक पहुँच पाने की,
सबकी कोशिश को देखो मैं सही रास्ता दिखलाऊं,
मैं हिन्दू हूँ, हिन्दू हूँ मैं मन की मैं करता ही जाऊं...........



परिचय:
सचीन जैन:
DOB: 07-08-1982 , Started my own Software venture related to India's education industry and working to make that successful. Being so busy in life, give sometime to the poetry and hindi.
9873763210
Noida.



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4 comments:

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

संगीता पुरी said...

नए चिट्ठे के साथ आपका स्वागत है........आशा करती हूं कि आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिट्ठाजगत को मजबूती देंगे........ बहुत बहुत धन्यवाद।

प्रदीप मानोरिया said...

most welcome

महेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Verma said...

Bahut achchha likha hai.

Dhanyawaad.

http://popularindia.blogspot.com