• कविगण अपनी रचना के साथ अपना डाक पता और संक्षिप्त परिचय भी जरूर से भेजने की कृपा करें।
  • आप हमें डाक से भी अपनी रचना भेज सकतें हैं। हमारा डाक पता निम्न है।

  • Kavi Manch C/o. Shambhu Choudhary, FD-453/2, SaltLake City, Kolkata-700106

    Email: ehindisahitya@gmail.com


पानी में चंदा और चंदा पर आदमी .....

कई साल पहले अपनी हिन्दी की उत्तर प्रदेश बोर्ड की पाठ्य पुस्तक में एक निबंध पढा था, पानी में चंदा - चंदा पर आदमी। आज जब हम ख़ुद चाँद पर पहुँच गए हैं तो सहसा वो निबंध याद आ गया.....खुशी हुई पर २ मिनट बाद ही अपने वो भाई याद आ गए जो उस रात भी भूखे सोये और शायद आज रात भी..... सारी खुशी काफूर हो गई जब देखा कि किस तरह राज ठाकरे के किराये के बदमाश मुंबई की सडकों पर आतंक फैला रहे थे और संसद में हमारे कर्णधार कि तरह बेशर्मी से बर्ताव कर रहे थे ..... क्या वाकई हम चाँद पर पहुँचने लायक हैं ? क्या वाकई भूखे लोगों के देश में चांद्रयान उपलब्धि है ?

पानी में चंदा और चंदा पर आदमी .....

भूख जब सर चकराती है
बेबसी आंखों में उतर आती है
बड़ी इमारतों के पीछे खड़े होते हैं जब
रोजी रोटी के सवाल
तब एक गोल चाक चौबंद इमारत में
कुछ बहुरूपिये मचाते बवाल
गिरते सेंसेक्स की
ख़बरों में दबे
आम आदमी की आह
देख कर मल्टीप्लेक्स के परदे पर
मुंह से निकालते वाह
सड़क पर भूखे बच्चों की
निगाह बचाकर
कुत्तों को रोटी पहुंचाती समाजसेवी
पेज थ्री की शान
आधुनिक देवी
रोटी के लिए कलपते
कई करोड़ लोगों का शोर
धुंधला पड़ता धुँआधार डी जे की धमक में
ज्यों बढो शहर के उस छोर
तरक्की वाकई ज़बरदस्त है
नाईट लाइफ मस्त है
विकास की उड़ान में
जा पहुंचे चाँद पर
पर करोड़ो आंखों में नमी
पानी में चन्दा और
चन्दा पर आदमी

मयंक ...............

मयंक सक्सेना

द्वारा: जी न्यूज़, FC-19,

फ़िल्म सिटी, सेक्टर 16 A,

नॉएडा, उत्तर प्रदेश - 201301

ई मेल : mailmayanksaxena@gmail.com

2 comments:

अनुपम अग्रवाल said...

भूख जब सर चकराती है बेबसी आंखों में उतर आती है
गरीबी जब आदमी से टकराती है शर्म आंखों से उतर जाती है
सेंसेक्स की ख़बरों में दबे आम आदमी की आह
ना बची जीने की ना ज़िंदगी की कोई चाह
तरक्की वाकई ज़बरदस्त है नाईट लाइफ मस्त है
किसको फुर्सत कुछ सोचने की,हर एक तो यहाँ व्यस्त है

RANAJEET SINGH YADAV said...

वाकई अच्छी रचना!