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आख़िर है तो इंसान ही - किशोर कुमार जैन


मुझे भरोसा है एक दिन वे लोग मान जायेंगे
आख़िर है तो इंसान ही
अहिंसा के पथ से भटक गए है वो लोग
इंसानी चीख से वे भी दहल जायेंगे
बकरे की अमा कब तक मनाएगी खैर!
जब पकडे जायेंगे, तब याद आ जायेगी नानी
चिथड़े-चिथड़े होकर उडी थी उनकी देह
आए थे जानी अनजानी जगह से
न जाने संजोये होंगे क्या-क्या सपने
बस एक धडाम और हो गए सब चकनाचूर
इश्वर नही ले पाए तेरा नाम
कैसे कैसे नजारें है तेरी इस दुनिया के
पता नहीं कैसी कैसी दे रखी छूट
प्रकृति के साथ-साथ तेरी अनमोल कृति
मानव भी कितना बदल गया है
जानवरों सा दिमाग मानवों को भी देकर
बना दिया है कितना बेरहम
इसा ने कहा ,इन्हे माफ़ कर दे
पता नहीं वे क्या कर रहे है
कवि कहता है
सब के ऊपर मानव ही सत्य है
मानव ही देव मानव ही सेव
मानव बिन नहीं केव
फ़िर भी कैसा-कैसा बन गया है इंसान
पशु से भी बदतर हो गया है इंसान
नहीं हूँ हैरान मुझे भरोसा है
एक दिन सब बदल गया जाएगा
शान्ति से रहना चाहेगा
प्रेम की गंगा में बह जायेगा
मेरे भरोसे की लाज रखना हे भगवन
सबको आख़िर आना है तेरे पास।


किशोर कुमार जैन

2 comments:

महेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Verma said...

सब के ऊपर मानव ही सत्य है
मानव ही देव मानव ही सेव
मानव बिन नहीं केव
फ़िर भी कैसा-कैसा बन गया है इंसान
पशु से भी बदतर हो गया है इंसान
नहीं हूँ हैरान मुझे भरोसा है
एक दिन सब बदल गया जाएगा
शान्ति से रहना चाहेगा
प्रेम की गंगा में बह जायेगा
मेरे भरोसे की लाज रखना हे भगवन
सबको आख़िर आना है तेरे पास।

बहुत ही अच्छी पंक्ति लिखे हैं. धन्यवाद.


दिल की आवाज़ (जिव हत्या विरुद्ध)

Basant Lal "Chaman" said...

jaka gr tum katiho , so phir kat tohar.
ye ghari badi vikat hai : maanav tera ant nikat hai.