पापा मैं तेरी काँच की गुड़िया
सम्भालो मुझे नहीं तो टूट जाऊँगी
क्यों लड़ाते हो लाड इतना
छोड़ कर तुमको एक दिन चली जाऊँगी ।
बना के आँखो का नूर
पलकों पर सजाते हो मुझे
जब आएगा सैलाब जज्बातो का
तो आँशु बन के बाह जाऊँगी ।
जो गिरती हूँ तो थाम लेते हो
जो कहती हूँ वो मान लेते हो
यूँ रखोगे जो हथेलियों पर तो
हाथ छुड़ा के ये कैसे जाऊँगी ।
बत्ती मेरे कमरे की जलती है...
तो पापा मेरे सो नहीं पाते....
बाते अपने मन की....
मुझसे वो कह नहीं पाते....
आँखे कहती है उनकी
बचपन को यही छोड़ जाऊँगी ।
आ जाती है वो घडी भी
जब बेटी को जाना होता है
नए रिश्तो से रिश्ता निभाना होता है
टूटते बिखरते मैं संभल जाउंगी पापा ,
मैं आपका मान स्वाभिमान बन
उस घर जाऊँगी उस घर जाऊँगी ।
सम्भालो मुझे नहीं तो टूट जाऊँगी
क्यों लड़ाते हो लाड इतना
छोड़ कर तुमको एक दिन चली जाऊँगी ।
बना के आँखो का नूर
पलकों पर सजाते हो मुझे
जब आएगा सैलाब जज्बातो का
तो आँशु बन के बाह जाऊँगी ।
जो गिरती हूँ तो थाम लेते हो
जो कहती हूँ वो मान लेते हो
यूँ रखोगे जो हथेलियों पर तो
हाथ छुड़ा के ये कैसे जाऊँगी ।
बत्ती मेरे कमरे की जलती है...
तो पापा मेरे सो नहीं पाते....
बाते अपने मन की....
मुझसे वो कह नहीं पाते....
आँखे कहती है उनकी
बचपन को यही छोड़ जाऊँगी ।
आ जाती है वो घडी भी
जब बेटी को जाना होता है
नए रिश्तो से रिश्ता निभाना होता है
टूटते बिखरते मैं संभल जाउंगी पापा ,
मैं आपका मान स्वाभिमान बन
उस घर जाऊँगी उस घर जाऊँगी ।
- पूजा शर्मा, कोलकाता
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