गोधर; हिरोशिमा की तरह
हठात् विश्व के नक्शे पर आ गया।
गुमनाम सा कस्बा
इंसानियत की कब्रगाह बन
सुर्खियों में छा गया।
यह बात ओर थी कि
उन सुर्खियों को सुर्ख रंग
इंसानों के लहू से ही मिला था।
अब प्रतिशोध में कुछ और शहरों के नाम
सुर्खियों में लाने थे;;
फिर से हुई इन्सानियत की हत्या
फिर कुछ और लहू बहा
तब कुछ और शहरों के नाम
सुर्खियों में थे।
मैंने लूटा दुकानों को,
इस बात से बेखबर,
कि अपनी पांच हज़ार साल की धरोहर
उसी दहलीज़ पर मैं खुद
लूटा कर आया हूँ।
हां वही सम्पदा जो मुझे
राम-बुद्ध और गांधी से
विरासत में मिली थी
छण भर में गवां आया हूँ।
हां ! अब अपना सब कुछ लूटा
भेड़िये में तबदील हो गया था
समर्थ को नहीं दोष गुनगुनाता
कुछ और शिकार तलाश रहा था
इंसानियत अब जर्द और रक्तविहीन हो
हाशिये पे पंहुच चुकी थी।
वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र
अब बासी हो चला,
राम का वर्गीकरण कर
उसका धनुष अपने हाथों में ले
हाँ ! अब हम ही
राम की रक्षा कर रहे थे
परिचय:
Kuldip Gupta
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S3/49 Mancheswar I.E.
Bhubaneswar 751010
09337102459
Blogs at : http://kuldipgupta.rediffiland.com//
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