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डॉo सुरेश अवस्थी की दो कविता:


1. जाँच

नाम के आगे लिखा देख
नेता जी भी गच्चा खा गये
एक दिन सवेरे- सवेरे
इलाज कराने मेरे घर आ गये।
बोले डॉक्टर साहब!
जब से कुर्सी मिली है
भूख जाने का नाम ही नहीं ले रही है
इतना खाया है, इतना खाया है फिर भी भूख-
और खाओ, और खाओ का उपदेश सुना रही है।
पता नहीं पेट में चल रहा है कौन सा घपला।
टीएलसी,डीएलसी,ईसीजी जाँच करा ली,
लेकिन कुछ भी नहीं निकला।
मैंने कहा-
यह डॉक्टर आपको सही इलाज बातायेगा
नेता जी, एक बार 'सीबीआई' जाँच करा लो
सब कुछ निकल आयेगा।


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2. दोहरापन


मैंने बेटे से पूछा
विभीषण अपनी दीवारों, दरवाज़ों पर
राम-राम क्यों लिखता था, लिखवाता था?
वह बोला-
उस जमाने का समझदार नेता था
ऐसा करके वह
'रा' और 'रावण' दोनों को पटाता था
जब कोई रामा दल से आता था तो उसे
राम-राम-राम पढ़वाता था
लेकिन जब कोई रावण दल से आता था तो उसे
'रा' से रावण 'म' से मंदोदरि समझाता था
आजकल
ऐसे दोहरे चरित्र का आदमी
उन्नति कर पाता है
जो भाई की लाश पर
कुर्सी रख कर राजा बन जाता है
वैसे इतिहास
विभीषण को रामभक्त कहते हुए नहीं थकते है।
बावजूद इसके कोई भी बाप अपने बेटे का नाम
विभीषण नहीं रखता है।

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1 comment:

Anita kumar said...

क्या बात कही है, वाह