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देवी नागरानी की दो कविता


जिंदगी एक रिश्ता..एक फ़ासला
 

कागज़ के कोरे पने
ज़िंदगी तो नहीं
न ही काले रंग की पुतन
का नाम है ज़िंदगी
"ज़िंदगी है एक रिश्ता"
एक लहर का दूजे से
धूप का छाँव से
दुख का सुख से
रात का दिन से
अंधेरे का रौशनी से
" जिंदगी है एक फ़ासला"
वो तो सूरज की
पहली किरन से शुरू होकर
उसी किरण के अस्त होने
तक का फ़ासला है / जीवन की हद से,
मौत की सरहद तक का फ़ासला
जिंदगी सुबह की पहली किरण है
मौत साँझ कि आखिरी किरण है
यही ज़िंदगी है / यही उसकी हद है
और सरहद भी / यही ज़िंदगी है
एक रिश्ता भी / एक फ़ासला भी


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फिर भर आई बदरिया
 

देखो बरसे नैना चोर
सावन की प्यासी ज्यों बदरी
वैसे प्यासा मनवा मोर
देखो बरसे नैना चोर


ऐसा प्यार करे मन पी से
चँदा से ज्यों करे चकोर
देखो बरसे नैना चोर


रुनझुन रुनझुन पायल बाजे
बैरन शोर करे उठ भोर
देखो बरसे नैना चोर


बादल गरजे घनघन घन घन
छाई घटा कारी घन घोर
देखो बरसे नैना चोर


भीनी भीनी खुश्बू छाई
महकी मस्त हवा चहूँ ओर
देखो बरसे नैना चोर


रिमझिम रिमझिम पानी बरसे
प्यासा मोर मचाए शोर
देखो बरसे नैना चोर


सावन की हरयाळी छाई
मस्त फिजाँ मेँ भीगी भोर
देखो बरसे नैना चोर


कळ कळ कळ कळ पानी बहता
प्यास बुझाए प्यासे ढोर
देखो बरसे नैना चोर


ऊँची उड़ान भरे मन ऐसे
जैसे पतँग की हो डोर
देखो बरसे नैना चोर


मदमाती मस्ती है देवी
आई है ख़ुशियों की भोर
देखो बरसे नैना चोर



Add: ९ डी, कॉर्नर व्यू सोसाइटी, 15/33 रोड,
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